सोमवार, 13 जुलाई 2015

साहित्य परिषद वंतरी होय अने अकादमी डाकण होय तो आ सरकार तो सेतान छे.

1. सवारथी स्वायत्तता शब्द गोखवानो प्रयास करुं छुं. स्वायत्ता के स्वायत्तता. बोलता फावतुं नथी. आ शब्द बोलवानी जाणे के आदत ज नथी.

2. वसंत-रजबनी हत्या करनारा टोळाना आगेवाननुं नाम डायर हतुं. जलियांवाला बागनो हत्याकांड आचरनारा जनरल डायरना नाम परथी एनुं नाम पड्युं हतुं. डायर हत्याकांड करीने पाकिस्तान जतो रह्यो हतो. आवा डायरो सामे लडी शकाय छे, परंतु डायर ज्यारे सत्ता पर बेसे छे, त्यारे लडाई कपरी बने छे. आजे डायर सत्ता पर बेठो छे. डायर सत्ता पर होय अने जे परिस्थिति सर्जाय ए परिस्थितिमांथी आपणे पसार थई रह्या छे.

3. एक भाईए एवुं कह्युं छे, एवुं क्यांक वांच्युं छे के, "हुं पार्टटाइम राजकारणी छुं, ज्यारे साहित्य परिषदना साहित्यकारो तो फुलटाइम राजकारणी छे." आपणे ए भाईने (मोदीने) कहेवुं जोइए के, कवि तो कवि छे. अमेरिका जाय के अलास्का जाय, कवि तेनी जात बदलतो नथी. कवि गुजरातमां हिन्दु अने गुजरातनी बहार ओबीसी बनी जतो नथी.

4. अगाउना वक्ताओए कोर्पोरेट ड्मोक्रसी, साहित्यनुं वेपारीकरणनी वातो करी. मारे कहेवुं छे के आतो नर्युं फ्युडालिझम छे, सामंतशाही छे. हजु आपणा शासको गणपतिनुं माथुं क्यांथी आव्युं अने कई रीते धड पर फिट थयुं एनी चर्चा करी रह्या छे.

5. आपणी पत्रिकामां फ्रान्सना दगोलनो संदर्भ छे. दगोले सार्त्र माटे कहेलुं के सार्त्रने पकडी ना शकाय, सार्त्र तो फ्रान्स छे. पण, साहेबो आपणा शासकोने फ्रेन्च क्रान्तिना समानता, स्वतंत्रता, बंधुता जोडे नहावा नीचोवानो संबंध नथी. आ लोको तो इटालीना मुसोलीनीना वारसदार छे. डो. मुंजेना लेटर्समां आ हकीकत आलेखायेली छे. आ लेचर्स नेहरु म्युझियमना आर्काइव्झमां सचवायेला पड्या छे. ए बाळी कुटवामां आवे ते पहेला विद्वदजनो वांची लेजो.

6. हुं सामा छेडाथी आवुं छुं. दलित साहित्यकारो कहे छे, के एमने मन साहित्य परिषद वंतरी छे अने अकादमी डाकण छे, परंतु मारे कहेवुं छे के साहित्य परिषद वंतरी होय अने अकादमी डाकण होय तो आ सरकार तो सेतान छे.

7. अहीं निरंजन भगत साहेब बेठा छे. एमना विषे एवी वात थई के भगत साहेबे तो कह्युं छे के "हुं तो बस फरवा आव्यो छुं" भगत साहेब स्वायत्तताना मूल्यमां माने छे. ए कहे छे, "हुं तो बस फरवा आव्यो छुं. हुं क्या तारी के मारी अकादमीमां चरवा आव्यो छुं."

(ता. 12 जुलाई, 2015. गुजराती साहित्य परिषदना रा. वि. पाठक सभागृहमां स्वायत्त अकादमी आंदोलनना उपक्रमे मळेला स्वायत्त संमेलनमां)

शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

हुं भंगी छुं, सफाई कामदार छुं



हुं भंगी छुं, सफाई कामदार छुं 

साक्षरो, आजे मारा झाडुथी
तमारां अवावरुं भेजा साफसुथरां करवानो छुं.

सदा जाळव्युं छे तमे कलात्मक अंतर
न मात्र साहित्यमां, जीवनमां पण
आजे ए अंतर हंमेशने माटे मीटावी देवानो छुं.
तमारा उजळियात साहित्यने उजळुं बनाववानो छुं

हुं भंगी छुं,सफाई कामदार छुं 

उच्छिष्ट, क्लिष्ट विचारो तमारा
वाळीझुडीने खडक्यो छे उंचो
व्याकरणथीय दुर्बोध उकरडो
हवे छांटी फिनाइल एने सळगावी देवानो छुं.

हुं भंगी छुं,सफाई कामदार छुं 

साक्षरो, आजे मारा वाळुथी
तमारी अनुभूतिनी भूख भांगवानो छुं.

- राजु सोलंकी