शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

धर्मांतर विरोधी बिल के खिलाफ


तमिलनाडु के बाद गुजरात में 2003 में मोदी सरकार ने धर्मांतर विरोधी कानून पारीत किया. गुजरात के तमाम बहुजन, दलित सामाजिक, बौद्ध संगठनों ने उसके खिलाफ आवाज़ उठाई थी. अहमदाबाद के टाउनहोल के पास बिल को जलाया गया था. मजे की बात यह थी कि सबसे पहले यह बिल कांग्रेस ही लाई थीजो व्यापक विरोध होने से विधानसभा में पारीत नहीं किया गया था. गुजरात में 2002 के बाद हिन्दुत्ववादी ताकतें मजबूत होने से मोदी यह बिल लाने की जुररत कर सका था. यह दुर्लभ तसवीर उस समय की है, जब सभी संगठन बहुजन संघर्ष मंच के बेनर तले इकठ्ठा हुए थे और अहमदाबाद के आंबेडकर होल में जब एक बडा संमेलन हुआ था. स्टेज पर है (from right side) कच्छ के बहुजन अग्रणी बाबुभाई बगडा, दलित पेंथर के नेता रमेशचंद्र परमार, बौद्ध अग्रणी बकुल वकील, रीपब्लिकन पार्टी के सोमचंदभाई परमार, नगीनभाई परमार, सीपीएम के अग्रणी, कामदार नेता आनंद परमार, पेंथर के स्थापक तथा काउन्सील फोर सोशल जस्टीस के नेता वालजीभाई पटेल, फाधर फ्रान्सीस परमार, बीहेवीयरल सायन्स सेन्टर के डायरेक्टर दिनेश परमार तथा राजु सोलंकी.